What is history ~ इतिहास क्या है ~ Ancient India

What is history ~ इतिहास क्या है

दोस्तों, इतिहास क्या है, इतिहास की व्युत्पत्ति कैसे हुई, इतिहास का जनक कौन है तथा इतिहास की परिभाषाएं ये सब जानकारी इस लेख में आप प्राप्त कर सकते हैं ।

इतिहास क्या है (what is history)

इतिहास की व्युत्पत्ति (Origin of Itihas)

इतिहास शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत भाषा के तीन शब्द 'इति' (ऐसा ही), 'ह' (निश्चित रूप से), एवं 'आस' (था) से मिलकर बना है,जिसका शाब्दिक अर्थ है -ऐसा ही निश्चित रूप से था अर्थात जो घटनाएं अतीत काल में निश्चित रूप से घटी है,वही इतिहास है ।

इतिहास की परिभाषा (Definition of history)

इतिहास सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है जिसके तहत अतीत काल की घटनाओं या उससे सम्बन्ध रखने वाले व्यक्तियों का कालक्रमानुसार अध्ययन किया जाता है ।

हेरोडोटस (484 ई.पू.-425 ई.पू.) -विश्व का प्रथम वास्तविक इतिहासकार (Herodotus 484 BC-425 BC-The World's First Real Historian)

यूनानी इतिहासकार हेरोडोटस का जन्म 484 ई.पू. में एशिया माइनर के हेलिकारनेसस में हुआ था । उसकी एकमात्र रचना का नाम The Histories-430 BC (द हिस्ट्रीज-430 ई.पू.) है जिसे The Researches तथा The Inquiries के नाम से भी जाना जाता है । यूनानी (ग्रीक) शब्द हिस्टोरिया से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है गवेषणा (शोध) से ज्ञान प्राप्त करना (Knowledge acquired by investigation) । हिस्टोरिया (Historia) का अंग्रेजी पर्याय है हिस्ट्री (History) । हेरोटोडस ने 'हिस्ट्रीज' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया था । उसने इतिहास को पृथक अध्ययन शास्त्र (विषय) के रूप में स्थापित किया । उसके इतिहास को वैज्ञानिक विद्या बताया क्योंकि इसकी पद्धति आलोचनात्मक होती है, उसने इतिहास को मानवीय विद्या बताया क्योंकि इतिहास मानवीय क्रियाकलापों का अंकन करता है, उसने इतिहास को तर्कसंगत विद्या बताया क्योंकि क्योंकि इसके तथ्य और निष्कर्ष प्रमाणों पर आधारित हैं तथा हेरोटोडस ने इतिहास को शिक्षाप्रद विद्या बताया क्योंकि इतिहास अतीत के आलोक में भविष्य पर प्रकाश डालता है ।

हेरोटोडस विश्व का पहला इतिहासकार है जिसने वास्तविक इतिहास लेखन की नींव डाली । उसने व्यक्तिगत रूप से सामग्रियों का संकलन किया ,उसकी सत्यता की जांच की तथा उन्हें सुसंगठित एवं जीवंत विवरणों में ढाला । रोमन दार्शनिक सिसरो (106 ई. पू-43 ई.पू.) ने हेरोडोटस को 'इतिहास का जनक' अथवा 'इतिहास का पिता' (The Father of History) कहा है ।

इतिहास की प्रसिद्ध परिभाषाएँ (Famous Definitions of History )

जर्मनी दार्शनिक हीगेल:1770-1831 ई.

  • The history of the world is none other than the progress of consciousness of freedom.(संसार का इतिहास स्वतंत्रता की चेतना की प्रगति के अलावा और कोई नहीं है) ।
  • We learn from history that man can never learn anything from history.(हम इतिहास से यह सबक लेते हैं कि आदमी इतिहास से कभी कोई सबक नहीं लेता है) ।

जर्मनी दार्शनिक कार्ल मार्क्स :1818- 1883 ई.

  • The history of all previous societies has been the history of class-struggle.(सभी पूर्ववर्ती समाजों का इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास रहा है) ।
  • History repeats itself ,frist as tragedy and second as farce.(इतिहास अपने आप को दोहराता है, पहला त्रासदी के रूप में, दूसरा प्रहसन के रूप) ।

इंग्लैंड के इतिहासकार जॉन सिले : 1834-1895 ई.

  • History is past politics,and politics present history.(इतिहास विगत की राजनीति है और राजनीति, वर्तमान इतिहास ) ।

आयरलैंड इतिहासकार जे.बी. ब्यूरी :1861-1927 ई.

  • History is not a branch of literature .... History is science, neither less nor more.(इतिहास साहित्य की एक शाखा नहीं है....इतिहास विज्ञान है ,न इससे कम न इससे ज्यादा) ।

बेल्जियम इतिहासकार हेनरी पिरेन: 1862-1935 ई.

  • History is the story of deeds and achievements of men living in societies.(इतिहास समाज में रहने वाले मनुष्यों के कार्यों एवं उपलब्धियों की कहानी है) ।

अमेरिकी उद्योगपति हेनरी फोर्ड: 1863-1947 ई.

  • History is more or less bunk. (इतिहास अधिक या कम बकवास है) ।

इटली दार्शनिक व इतिहासकार बी.क्रोचे:1866-1952 ई.

  • All history is contemporary history.(समस्त इतिहास समसामयिक इतिहास है) ।

जी.एम.ट्रेवेलियन:1876-1962 ई.

  • The value of History is not scientific. It's true value is educational. (इतिहास का महत्व वैज्ञानिक नहीं है । इसका वास्तविक महत्व शिक्षात्मक है ।)

ब्रिटिश इतिहासकार आर.जी कोलिंगवुड: 1889-1943 ई.

  • All history is history of thought .(समस्त इतिहास विचारों का इतिहास है)

ब्रिटिस इतिहासकार ई.एच. कार :1892-1982 ई.

  • History is an unending dialogue between past and present.(इतिहास अतीत और वर्तमान के बीच एक अनन्त संवाद है ) ।

भारत का प्रथम वास्तविक इतिहासकार कल्हण :12 वीं सदी ई.

  • The noble-minded author is alone worthy of praise whose word ,like that of a judge keep free from love of hatred relating the facts of the past.(वही गुणवान श्लाघनीय प्रशंसनीय है जिसकी वाणी राग-द्वेषों का बहिष्कार कर एक न्यायधीश के सामान भूतकालीन घटनाओं को यथार्थ रूप में प्रस्तुत करती है । 'भूतार्थकथने यस्य स्थेय स्येव सरस्वती !! श्लोक-राजतरंगिणी-1.7') ।

भारत का राष्ट्रवादी इतिहासकार रमेश चंद्र (आर.सी.) मजूमदार:1888-1980 ई.

  • History is the study of man's dealing with other men,and the adjustment of working relations between human groups.(इतिहास व्यक्ति का अन्य व्यक्तियों के साथ व्यवहार एंव मानवीय समूहों के बीच कार्यकारी संबंधों के समन्वय का अध्ययन है) ।

जवाहर लाल (जे.एल.) नेहरू:1889-1964 ई.

  • In real history is nothing but an account of change.(वास्तव में इतिहास क्या है ,परिवर्तन का एक लेखा मात्र) ।

दामोदर धर्मानंद (डी. डी.) कोसंबी: 1907-1966 ई.

  • History of presentation in chronological order of successive changes in the means and relations of production. ( उत्पादन के संसाधनों एंव सम्बन्धों में उत्तरोतर परिवर्तनों का तिथि-क्रमानुसार प्रस्तुतीकरण ही इतिहास है) ।

इतिहास के अंग अथवा घटक (Parts and Constituents of History)

इतिहास के चार महत्वपूर्ण अंग अथवा घटक होते हैं जिनका संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है-
घटना(Event)-'घटना' इतिहास का प्रथम व सबसे महत्वपूर्ण अंग है । यह 'क्या'(What) का जवाब देता है । इतिहास में घटना का महत्वपूर्ण स्थान है । इतिहास में वह क्या घटना है जिसका जिक्र किया जा रहा है ,यह घटना कैसे घटी,यह घटना क्यों घटी ? इतिहास का यह अंग 'घटना' इसी सवाल का जवाब देता है । इतिहास में घटनाओं का होना आवश्यक है । सामान्यतः उन्हीं घटनाओं को इतिहास में स्थान मिलता है जिनका ऐतिहासिक महत्व होता है ,जैसे भारत में कलिंग युद्ध की घटना, पानीपत की लड़ाई, प्लासी का युद्ध तथा 1857 की क्रांति ।
काल अथवा समय(Time)- इतिहास का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण अंग है समय । यह 'कब'(When) का जबाब देता है । जब कोई आपस में किसी विषय या घटना पर बात करते हैं तो निश्चित रूप से यह जिज्ञासा उठती है की ये घटना कब हुई ।इतिहास का यह अंग 'समय' इसी जिज्ञासा का समाधान करता है । इसके लिए इतिहास का तिथिपरक अथवा क्रमानुसार होना आवश्यक है । यदि इतिहास तिथिपरक या क्रमबद्ध नहीं होता है तो वह कपोल-कल्पित लगता है । अतः काल अथवा समय इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा है । इतिहास के लेखन एवं पठन-पाठन में विश्वसनीयता के लिए समय निर्धारण आश्यक है ।
व्यक्ति(Person)-व्यक्ति इतिहास का तीसरा सबसे महत्वपूर्ण अंग है । यह 'कौन'(Who) का जवाब देता है । जब इतिहास में किसी घटना विशेष का जिक्र होता हैं तो 'समय' के साथ-साथ यह भी जिज्ञासा उठती है की ये घटना किस व्यक्ति से या किससे सम्बंधित है यानि इतिहास की उस घटना का पात्र कौन था । इतिहास का यह अंग 'व्यक्ति' इसी जिज्ञासा का समाधान करता है । इतिहास में व्यक्ति अथवा पात्र का वर्णन आवश्यक है । इतिहासवेत्ता इस बात का निर्धारण करते हैं कि इतिहास अर्थात उस ऐतिहासिक घटना का पात्र व्यक्ति कौन होगा । सामान्यतः उन्हीं व्यक्तियों को इतिहास का पात्र माना जाता है जो कोई महत्वपुर्ण अथवा ऐतिहासिक कार्य करता है,जैसे- सिकंदर, सम्राट अशोक,शहीद भगत सिंह,महात्मा गांधी,जहवार लाल नेहरु आदि ।
स्थल/स्थान(Place)-स्थान इतिहास का चौथा महत्वपूर्ण अंग है । इतिहास का यह अंग 'कहाँ'(Where) का जवाब देता है । यह स्वभाविक है जब हमें कब और कौन का जबाब मिल जाता है तो यह जिज्ञासा उठती है की यह घटना कहां की है अथवा यह इतिहास कहाँ का है । इतिहास का 'स्थल' इसी बात का जबाब देता है । इतिहास के लिए यह आवश्यक है कि उसमें स्थल दर्शाया गया हो । यदि ऐसा नहीं होता है तो इसमें भ्रम की स्थिति बनी रहती है कि इसमें कहाँ का जिक्र किया गया है । सामान्यतः इतिहास में उन्हीं स्थलों को जगह मिल पाती है जिनका ऐतिहासिक महत्व होता है, जैसे-पाटलिपुत्र, कन्नौज तथा प्लासी ।

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