Fort of Rajasthan ~ Kumbhalgarh Fort (कुम्भलगढ़ दुर्ग) ~ Ancient India

Fort of Rajasthan ~ Kumbhalgarh Fort (कुम्भलगढ़ दुर्ग)

कुम्भलगढ़ दुर्ग (Kumbhalgarh Fort) का निर्माण महाराणा कुम्भा ने 1443 ई. से 1459 ई. के मध्य करवाया था । यह दुर्ग राजस्थान के राजसमन्द जिले में स्थित है । कुम्भलगढ़ दुर्ग को अजयगढ़ के नाम से भी जाना जाता है । इसी किले में एक ओर दुर्ग है जिसे कटारगढ़ के नाम से जाना जाता है । महाराणा कुम्भा का निवास कटारगढ़ में ही था ।

कटारगढ़ की ऊंचाई इतनी अधिक थी कि महाराणा कुम्भा यहां से पूरे दुर्ग पर निगाह रखते थे तथा पूरे मेवाड़ का संचालन भी यहीं करते थे । यही कारण है कटारगढ़ को मेवाड़ की आँख भी कहा जाता है । कुम्भलगढ़ दुर्ग (Kumbhalgarh Fort) हेमकूट, गंधमाध्व, जरगा तथा रागा आदी कई पहाड़ियों व घाटियों को मिलाकर बनाया गया है । समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 1100 मीटर है । अबुल फजल ने इस दुर्ग के बारे में लिखा है कि" इस दुर्ग की बुलन्दी को देखते हैं तो सर से पगड़ी नीचे गिर जाती है ।"

कुम्भलगढ़ को सिसोदियों की संकटकालीन राजधानी कहा जाता है । अनेकों आक्रांताओं से इस दुर्ग ने सिसोदिया परिवार की रक्षा की थी । महाराणा उदयसिंह की रक्षा करके पन्नाधाय उन्हें इसी दुर्ग में लायी थी तथा उनका यहीं पालन-पोषण किया । महाराणा प्रताप का जन्म भी इसी दुर्ग में हुआ तथा मुगलों से संघर्ष के दौरान यही दुर्ग उनका मुख्य आश्रयस्थल भी था ।

पृथ्वीराज सिसोदिया (उडाणा पृथ्वीराज) की 12 खम्बों की छतरी इसी दुर्ग में स्थित है । कुम्भलगढ़ दुर्ग (Kumbhalgarh Fort) की दीवार की लंबाई 35.8 किमी.(लगभग 36 किमी.) तथा दीवार की चौड़ाई 15 फीट है । महाराणा कुम्भा के प्रसिद्ध शिल्पकार मंडन के निर्देशन में कुम्भलगढ़ दुर्ग का निर्माण कार्य पूरा हुआ । कुम्भलगढ़ दुर्ग में सैंकड़ों हिन्दू व जैन मंदिर हैं ।

दुनिया की सबसे लंबी दीवार The Great Wall of China के बाद कुम्भलगढ़ की दीवार का नाम आता है । भारत में इतनी लंबी दीवार इसे The Great Wall of India के ना कुम्भलगढ़ दुर्ग (Kumbhalgarh Fort)) का नाम विश्व धरोहर सूची में शामिल है ।

कुम्भलगढ़ दुर्ग का प्राचीन नाम मछिन्द्रपुर बताया जाता है । ऐसा माना जाता है कि यहां पहले से ही एक दुर्ग था जिसे संप्रति नामक मौर्य शासक ने 6ठी शताब्दी में बनवाया था । अल्लाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय यह दुर्ग पूरी तरह से नष्ट होकर खंडहरों में तब्दील हो गया था । महाराणा कुम्भा ने इन्हीं के अवशेषों पर कुम्भलगढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया था ।

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