New Education Policy 2020 ~ नई शिक्षा नीति 2020 ~ Ancient India

New Education Policy 2020 ~ नई शिक्षा नीति 2020

1986 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बाद नई शिक्षा नीति 2020 (New Education Policy 2020) को सरकार ने मंजूरी दे दी है । यह स्वतंत्र भारत की शिक्षा नीति में तीसरा बड़ा बदलाव है । इससे पहले वर्ष 1968 व 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव लाया गया था । हालांकि वर्ष 1992 में भी 1986 की शिक्षा नीति में कुछ बदलाव लाये गए थे लेकिन अब शिक्षा का यह ढांचा पूरी तरह बदला जा चुका है । वर्ष 2017 में इसरो के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंजन की अध्यक्षता में शिक्षा नीति कमेटी का गठन किया गया था जिसने वर्ष 2019 में नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार किया । इस वर्ष 29 जुलाई 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में इसे मंजूरी दे दी गई । इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर पुनः शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है । इससे पहले वर्ष 1985 में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने शिक्षा मंत्रालय का नाम बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय किया था ।
नई शिक्षा नीति का मुख्य ध्येय बच्चों को शिक्षा के प्रति आकर्षित करना, स्किल डेवलपमेंट तथा शिक्षा की मुख्य धारा से बाहर हुए छात्रों को पुनः अवसर प्रदान करना है । रट्टा पद्धति की जगह अब छात्र की ध्यान रखने, समझने, विश्लेषण करने, तर्क-वितर्क करने की क्षमता व कौशल का विकास किया जाएगा । शिक्षा पर कुल सरकारी खर्च अब 3% से बढ़ाकर 6% करने का लक्ष्य रखा गया है ।

क्या हैं नई शिक्षा नीति 2020 के नियम व बदलाव

34 वर्षों बाद आई नई शिक्षा नीति 2020 में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक सभी नियमों में बदलाव किया गया है । अब तक इस शिक्षा का प्रारूप 10+2 था लेकिन अब इसे बदलकर 5+3+3+4 कर दिया गया है ।
10+2 यानी कक्षा 1 से लेकर कक्षा 12 तक जिसमें प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा व उच्च माध्यमिक शिक्षा शामिल है । किसी भी छात्र को राज्य सरकार के अंतर्गत किसी बोर्ड से ही यह शिक्षा हासिल करनी पड़ती है । हालांकि नई शिक्षा नीति 5+3+3+4 में भी सरकार द्वारा कक्षा 12 तक ही पढ़ाया जाएगा लेकिन इसके लिए अब छात्र को 12 साल की बजाय 15 साल का समय देना होगा। वो कैसे आइये समझते हैं नई शिक्षा नीति को ।
दोस्तों, हम अमूमन 6 साल की उम्र में अपने बच्चों का स्कूल में एड्मिसन कराते हैं । 18 साल की आयु में वह 12वीं कक्षा उतीर्ण कर लेता है । अभी भी वह 18 वर्ष की आयु में 12वीं पास कर पायेगा लेकिन उसका एड्मिसन अब 6 साल की बजाय 3 साल की आयु में कराना होगा । नई शिक्षा नीति (5+3+3+4) के अंतर्गत चार स्टेज में बच्चे की अनिवार्य शिक्षा पूरी होगी ।

Foundation Stage (5 वर्ष)

Foundation stage का कार्यक्रम 5 वर्षों का है । यह बच्चों की पढ़ाई की शुरुआती स्टेज है जिसके अंतर्गत बच्चों में स्कूल के प्रति लगाव बढ़ाया जाएगा । नई शिक्षा नीति के अनुसार शुरुआत के 3 साल तक यानी Pre-Primary में बच्चे स्कूल या आंगनबाड़ी में बैठना सीखेंगे । इसके साथ ही बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद से संबंधित गतिविधियां भी कराई जाएंगी ताकि उनमें स्कूल के प्रति रुचि बढ़े । बच्चे पढ़ते खेलते ही स्कूल में रुचि लेने लगेंगे । इसके लिए विशेष टीचर्स का भी प्रबंध किया जाएगा । इसके बाद अगले दो वर्ष तक यानी कक्षा-1 व कक्षा-2 की पढ़ाई होगी । इन कक्षाओं से अर्ध वार्षिक व वार्षिक परीक्षाओं को हटा दिया गया है ताकि बच्चों में परीक्षा के प्रति दबाब न रहे।

Preparatory stage (3 वर्ष)

Preparatory stage में बच्चों को कक्षा 3 से कक्षा 5 तक पढ़ाया जाएगा । इस स्टेज में बच्चे हिंदी अथवा अपनी स्थानीय (Local) / क्षेत्रीय भाषा में पढ़ सकेंगे । इन कक्षाओं में गणित, सामाजिक, कला व विज्ञान जैसे विषयों से बच्चों को परिचित कराया जाएगा । अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता को समाप्त कर उसे एक विषय के रूप में पढ़ाया जाएगा । यहां तक कि एक English Medium स्कूल के लिए भी बच्चों को स्थानीय भाषा में पढ़ाना अनिवार्य होगा । कुल मिलाकर नई शिक्षा नीति में पढ़ाई को लेकर, जो मानसिक डर व तनाव बच्चों में रहता था उसे दूर करने का प्रयत्न किया गया है ।

Middle Stage (3 वर्ष)

नई शिक्षा नीति के अनुसार Middle Stage के तीन वर्ष हैं जिसमें 6 से 8 तक की कक्षाएं शामिल हैं । इस स्टेज में बच्चों को भविष्य के लिए तैयार किया जाएगा । पढ़ाई के साथ-साथ उनके व्यवसायिक कौशल को भी निखारा जाएगा । इस स्टेज में बच्चों को कम्प्यूटर से संबंधित कोर्स कोडिंग, सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग व मोबाइल एप्पलीकेशन डिजाइनिंग आदि करवाये जाएंगे । इसके अलावा बच्चे अपनी इच्छानुसार कोई भी व्यावसायिक कोर्स ( सिलाई, कारपेन्टर, पेंटिंग आदि का बेसिक नॉलेज ) कर सकेंगे । गणित, सामाजिक विज्ञान, कला जैसे विषयों के साथ-साथ एक अन्य भारतीय भाषा (जैसे संस्कृति, पंजाबी, मैथिली) भी इसमें अनिवार्य होगी।

Secondary Stage (4 वर्ष)

माध्यमिक स्तर में कक्षा 9 से 12 तक की कक्षाएं शामिल हैं । नई शिक्षा नीति में सेकेंडरी स्तर पर अन्य की अपेक्षा थोड़ी सख्ती के साथ-साथ कुछ सहूलियत भी दी गई है । अब परीक्षाऐं वर्ष में एक बार न होकर सेमेस्टर वाइज होंगी । यानी अब सभी पाठ्यक्रमों को दो सेमेस्टरों में पढ़ाया जाएगा अतः उसी अनुसार वर्ष में दो बार परीक्षाएं होगीं । इसके साथ ही विषयों के चुनाव की आजादी दी गई है । विषय चुनने की आजादी पहले 10वीं कक्षा के बाद होती थी लेकिन अब 9वीं कक्षा का छात्र भी अपनी इच्छानुसार अपने विषयों को चुन सकता है । पहले दसवीं के बाद छात्र को भविष्य के लिए प्लानिंग करनी पड़ती थी । वह भविष्य में किस संकाय में अपना व्यवसाय या कार्य करना चाहता है उसी के आधार पर अपनी पढ़ाई करता था, अपने संकाय अथवा विषयों का चुनाव करता था। नई शिक्षा नीति की खास बात यह है कि अब छात्र अपनी सुविधानुसार किसी भी संकाय की किताब अपने Subject में शामिल कर सकता है । यानी अब आर्ट का छात्र अपनी रुचि अनुसार साइंस अथवा कॉमर्स की पुस्तक भी पढ़ सकेगा तथा एक साईंस अथवा कॉमर्स का छात्र भी इतिहास, भूगोल व राजनीति की पुस्तक पढ़ सकेगा । इसके अलावा सेकेंडरी स्टेज में छात्र एक विदेशी भाषा (जैसे फ्रेंच, स्पेनिश, जर्मन, जापानीज, इटालियन, रसियन आदि) भी पढ़ सकेंगे ।

ग्रेजुएशन / पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री

अब ग्रेजुएशन के ढांचे को पूरी तरह बदल दिया गया है । ग्रेजुएशन के कोर्स को अब चार साल का कर दिया गया है । नई शिक्षा नीति में B.A. , B.Com, B.Sc के पैटर्न को हटाकर अब मात्र ग्रेजुएशन कर दिया गया है । सभी चारों वर्षों की अपनी अलग अहमियत होगी । चारों सालों के अलग-अलग सर्टिफिकेट दिए जाएंगे । पहले वर्ष के कोर्स पर सर्टिफिकेट, दूसरे वर्ष के कोर्स पर डिप्लोमा, तीसरे वर्ष के कोर्स पर पहले की भांति बैचलर डिग्री तथा चौथे वर्ष के कोर्स पर रिसर्च के साथ ग्रेजुएशन का कोर्स पूरा हो जाएगा । हालांकि ग्रेजुएशन में 2 विकल्प हैं । जो छात्र जॉब या बैचलर डिग्री के लिए ग्रेजुएशन करेंगे वे पहले की तरह 3 साल का ग्रेजुएशन कोर्स करके डिग्री हासिल कर सकेंगे वहीं जो छात्र बैचलर डिग्री के बाद सीधा पोस्ट ग्रेजुएशन (PG- M.A. , M.Com, M.Sc) करना चाहते हैं उनके लिए PG का कोर्स 2 वर्ष के लिए रहेगा जबकि 4 साल का ग्रेजुएशन कोर्स पूरा करने वाले छात्र के लिए पोस्ट ग्रेजुएशन का कोर्स मात्र एक वर्ष का रहेगा।

B.Ed कोर्स

नई शिक्षा नीति के अंतर्गत 12वीं कक्षा के बाद B.Ed करने वाले छात्रों के लिए यह कोर्स 4 वर्ष का होगा जबकि ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त कर चुके छात्र के लिए बी.एड. का कोर्स 2 वर्ष का होगा । वहीं यदि कोई छात्र पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल कर चुका है तो वह मात्र एक वर्ष में B.Ed Degree प्राप्त कर लेगा ।

M.Phil कोर्स की समाप्ति

नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद M. Phil की डिग्री का महत्व नहीं रहेगा । यही कारण है कि M.Phil की डिग्री को अब समाप्त कर दिया जाएगा । पहले Ph.D की डिग्री प्राप्त करने के लिए पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद M.Phil करना होता था ।
जिन छात्रों का कोर्स बीच में ही छूट जाता है उन्हें अब पूरा कोर्स दुबारा नहीं करना पड़ेगा । नई शिक्षा नीति में यह सुविधा दी गई है कि अब 1 वर्ष या दो वर्ष के कोर्स के बाद जहां भी पढ़ाई छूटी थी वहीं से आगे शुरू कर सकते हैं ।

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