Sundarban forest ~ सुंदरवन का इतिहास ~ Ancient India

Sundarban forest ~ सुंदरवन का इतिहास

अपने अनूठे प्राकृतिक सौंदर्य तथा भरपूर वन्य जीवन के लिए जाने जाने वाला सुंदरवन दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव का जंगल (world's largest mangrove forest) है । सुंदरवन बाघों के लिए सबसे बड़े रिजर्व में से एक है क्योंकि इसी जंगल में पाया जाता है दुनिया का सबसे खतरनाक और आदमखोर रॉयल बंगाल टाईगर (Royal Bengal tiger)। तो आइए विस्तार से जानते हैं सुंदरवन के बारे में ।

सुंदरवन का परिचय (Introduction to the Sundarbans)

सुंदरवन पश्चिम बंगाल के दक्षिणी छोर पर तथा भारत और बांग्लादेश की सीमा पर स्थित है जो विश्व का सबसे बड़ा नदी डेल्टा (largest delta) है । यह डेल्टा गंगा और ब्रह्मपुत्र, मेघना, पद्मा तथा इनकी सहायक छोटी-छोटी नदियों के मिश्रण से बना है जो सुंदरवन से होती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं । सुंदरवन दुनिया का सबसे बड़ा डेल्टा है जो कुल 38500 वर्गकिमी में फैला है जिसका 35% भाग पानी तथा दलदल से घिरा है तथा 10000 वर्ग किमी से भी अधिक क्षेत्र में सदाबहार वन हैं । सुंदरवन दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव का जंगल (world's largest mangrove forest) है । सुंदरवन का लगभग 4000 वर्ग किमी का हिस्सा भारत में तथा बाकी का 6000 वर्ग किमी का हिस्सा बांग्लादेश में आता है ।

दोस्तों सुंदरवन एक ऐसा क्षेत्र है जहां की जमीन में दलदल है, यहां अनेकों जंगल हैं, यहां अनेकों टापू हैं और इन टापुओं पर छोटे-छोटे गांव भी हैं जहां लोग रहते हैं । यहाँ केवल वो ही पेड़ जीवित रह सकते हैं जो मीठे और खारे पानी के मिश्रण में होते हैं । यहाँ के जंगलों में कुछ क्षेत्रों में तो पेड़ हर समय पानी में डूबे रहते हैं । इस दलदली इलाके के पेड़ों की जड़े बाहर दिखाई देने लगती है । यहां मुख्य नदियों में गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियां हैं जो अपने साथ मिट्टी बहाकर ले आती है जिसके यहां जमा होने से इस क्षेत्र ने एक बहुत बड़े डेल्टा का आकार ले लिया । इस डेल्टा को बंगाल डेल्टा अथवा ग्रीन डेल्टा भी कहा जाता है ।

दूसरी तरफ समुद्र के खारे पानी के मिश्रण से सुंदरवन की उपजाऊ मिट्टी बहकर समुद्र में जाने व खारे पानी की वजह से मिट्टी में कटाव आने से यहां की जमीन का अस्तित्व खतरे में पड़ता जा रहा है और समुद्र के क्षेत्रफल में निरन्तर वृद्धि हो रही है । सुंदरवन में सुन्दरी नामक पेड़ों की भारी तादाद है इसी कारण इस जगह का नाम सुंदरवन पड़ा, इसके साथ ही बांग्ला भाषा के सुंदौर शब्द का प्रयोग सुंदरवन नाम के लिये किया गया है ।

सुन्दरी के अलावा यहां पेड़ों की सैंकड़ो प्रजातियां पाई जाती हैं । यहां वन्यजीवों की सैंकड़ों प्रजातियां पाई जाती है जैसे-बाघ, जंगली सूअर, विशेष प्रकार का रंगा सियार, बन्दर की विशेष प्रजाति, चीतल, हिरण तथा पेंगोलिन, जंगली मुर्गी, विशाल छिपकली इत्यादि । 

इसके अलावा यहां नमकीन पानी में रहने वाले मगरमच्छ भी पाए जाते हैं । सुंदरवन विलुप्तप्राय प्रजातियां जैसे बटागुर बसका, किंग क्रैब और ऑलिव रिडल कछुए का भी निवास स्थान है। खानाबदोश मौसम के दौरान यहां पर साइबेरियन बत्तखों को भी देखा जा सकता है । सुंदरवन यहां की विशेष प्रजाति के बाघ रॉयल बंगाल टाइगर (Royal Bengal Tiger) के लिए विश्वभर में जाना जाता है । सुंदरवन Royal Bengal Tigers के लिए रिज़र्व क्षेत्र है ।

सुंदरवन का इतिहास (History of the Sundarbans)

सुंदरवन डेल्टा (Sundarban delta) का इतिहास 20000 सालों पुराना है । हालांकि बागमरा फारेस्ट ब्लाक में मिले अवशेषों के आधार पर यहाँ के जंगलों का इतिहास 200-300 ईसवी के आसपास का माना जाता हैं । यहां पर सुंदरी पेड़ों की संख्या अधिक होने के कारण इस क्षेत्र का नाम सुंदरवन पड़ गया । मुगल शासकों ने इस वन को किराए पर लिया था । 1757 में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने सुंदरवन के सारे अधिकार मुगल सम्राट आलमगीर द्वितीय से ले लिए । इसके बाद 1860 के बाद बंगाल में फारेस्ट डिपार्टमेंट बनने के बाद अंग्रेजो ने सुंदरवन का संरक्षण किया । सुंदरवन भारत का राष्ट्रीय उद्यान (Sundarban National Park) टाइगर  रिजर्व और बायोस्फीयर रिजर्व है । सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान (Sundarban National Park) को 1973 में सुंदरवन टाइगर रिजर्व का प्रमुख क्षेत्र और 1977 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया । 4 मई 1984 को इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। वर्ष 1987 में यूनेस्को द्वारा इसे  विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया गया तथा 1989 में सुंदरवन क्षेत्र को बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया ।

सुंदरवन की वर्तमान स्थिति (Current situation of Sunderbans)

सुंदरवन में विविध प्रकार की वनस्पतियां तथा वन्य जीव पाये जाते हैं । सुंदरवन में 102 छोटे-बड़े द्वीप हैं जिनमें से 54 रिहायसी तथा 54 संरक्षित हैं । 1700 ई. में अंग्रेजों के समय में यहां के जंगलों को कटवाकर रिहायसी टापूओं का निर्माण किया गया था ताकि किसी भी प्रकार से कर वसूली की जा सके ।

वर्षों से गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी अपने साथ गाद बहाकर लाती आयी है जिसकी वजह से यहाँ ऊंचे-ऊंचे टापू बन गए हैं परंतु चिंता का विषय यह है कि हजारों सालों बीत जाने के बाद भी ये टापू अभी तक पत्थर(सख्त) नहीं हुए । भू वैज्ञानिकों ने कोलकाता सहित पूरे दक्षिण बंगाल को डेल्टा क्षेत्र घोषित कर दिया । बरसात के मौसम में नदियों के जलस्तर बढ़ने की वजह से यहां की उपजाऊ जमीन भी डेल्टा में समाती जा रही है । खारे पानी की वजह से धीरे धीरे यह डेल्टा नरम पड़कर पानी में समाता जा रहा है । 

इस प्रकार यहाँ की उपजाऊ भूमि व टापू भी समुद्र में तब्दील होते जा रहे हैं । यदि ऐसे ही हालात बने रहे तो आने वाले समय कोलकाता व 24 परगना जिलों की भूमि खतरे में पड़ सकती है । वैज्ञानिकों का मानना है कि समुद्र से उठने वाले तूफानों के वेग को कम करने में यहां के जंगल अहम भूमिका निभाते हैं तथा यहाँ के टापुओं की रक्षा भी सुंदरवन के जंगल करते हैं । परन्तु मौसम की मार झलते-झलते मैंग्रोव के जंगलों (mangrove forestका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है । विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले 37 वर्षों में तकरीबन 45 फीसदी मैंग्रोव के जंगल नष्ट हो चुके हैं ।

सुंदरवन में करीबन 300 प्रकार की वनस्पतियां पायी जाती हैं तथा लगभग 300 से भी अधिक प्रकार की जीव प्रजातियां पाई जाती हैं जिनमें विशेषकर रॉयल बंगाल टाइगर, मगरमच्छ, जंगली सूअर, जंगली भैंसे, सांप, मछली व पक्षी हैं। इनमें से कुछ जीव तो ऐसे हैं जो आज विलुप्त हो चुके हैं तथा कुछ जीव विलुप्ति की कगार पर हैं । इस क्षेत्र में किसी जमाने में हाथी व लाल सिंग वाले गेंडे हुआ करते थे । अकबरनामा के अनुसार सुंदरवन के दक्षिण क्षेत्र हाटथुवा से हाथी पकड़कर मुगल सेना में भर्ती किये गए थे । इसी प्रकार इस क्षेत्र में जावा व सुमात्रा की विशेष प्रजाति के गेंडों के साथ साथ लाल सिंग वाले गेंडे व जंगली भैंसे भी पाए जाते थे जो अब यहां से विलुप्त हो चुके हैं । पश्चिम बंगाल वन विभाग के अधिकारियों का मानना ही कि 1900 ई. में यहां आखरी बार लाल सिंग वाला गेंडा देखा गया था, धीरे-धीरे यह प्रजाति 1935 ई. तक यहां से विलुप्त हो चुकी है ।

वर्ष 2015 की गणना के अनुसार सुंदरवन में रॉयल बंगाल टाइगर (Royal Bengal tiger) की संख्या 180 थी जिसमें से 106 टाइगर बांग्लादेश की सीमा में तथा 74 भारत की सीमा में पाए गए । इसके अलावा यहां ओपेन बिल्ड स्टर्क, वाटर हेन, कूट, पारिया काइट, ह्वाइट आइबिस, ब्रह्मिनी काइट, मार्स हेरियस, रैड जंगल फाउल, स्पौटेड आउल , जंगली कौआ, मिनस, कौटन टिल, कैस्पियन टर्न, नाइट हेरन, कौमन स्नाइप, विशेष प्रजाति का कठफोड़वा, रोज रिंग्ड पैराकीट, पैराडाइज फ्लाईकैचर, हरे कबूतर, करमारेंट, समुद्री स्पौटेड ईगल, विभिन्न प्रजातियों के सीगल, वुड सैंड पइपर, पेरिग्रीन फैलकौन, ह्वीमब्रेल, ब्लैक टेल्ड गौडविट, गोल्डन प्लोवर, पिनटेल आदि पाये जाते हैं ।

सुंदरवन में भारत का सबसे बड़ा फिशरी बोर्ड है जो लगभग 50 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है । सुंदरवन के बासिन्दों की आय का मुख्य साधन शहद बेंचना, मछलियों पकड़ना, लकड़ी बेंचना, मजदूरी व फल-फूल, सब्जी और अनाज की खेती है ।

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