Sangam Era ~ प्राचीन चोल राज्य ~ Ancient India

Sangam Era ~ प्राचीन चोल राज्य

दोस्तों जैसा की हमने आपको पिछली पोस्ट में बताया कि संगम युग में दक्षिण भारत में तीन शक्तिशाली राज्य थे चेर, चोल और पाण्डेय । आज आपको 'संगमकालीन राज्य भाग-2' में जानकारी देंगे चोल राज्य की  । संगमकालीन राज्यों में चोल राज्य सर्वाधिक शक्तिशाली राज्य था । संगमकाल में यह राज्य पेन्नार व वेल्लारु नदियों के बीच स्थित था । इस क्षेत्र को चोलमण्डल के नाम से जाना जाता था । चोलों को सेन्नई (सेनानायक), सेम्बियम (सिबी के वंशज) , किल्ली (प्रमुख), बलावन (उपजाऊ भूमि के शासक) आदि नामों से भी जाना जाता था।

चोलों (Chola) के बारे में सर्वप्रथम जानकारी हमें पाणिनि की रचना 'अष्टाध्यायी ' से मिलती है । इसके अलावा वर्तिका (कात्यायन), महावंश, मामुलनार आदि रचनाओं तथा टॉलमी व् पेरिप्लस से हमें चोलों के इतिहास की जानकारी मिलती है । चोलों का प्रथम पुरातात्विक उल्लेख हमें सम्राट अशोक के वृहत शिलालेखों (दूसरे,तीसरे व पांचवें शिलालेख) में मिलता है ।

करिकाल (190 ई.) ~Karikala

करिकाल (Karikala) संगमकालीन चोल (Chola) शासकों में सबसे महत्वपूर्ण शासक था । करिकाल (Karikala) के पिता इलनजेतचेन्नी थे जो एक वीर और बहादुर यौद्धा थे । इलनजेतचेन्नी अपने सुन्दर रथों के लिए जाना जाता था। चेरों ने करिकाल के पिता इलनजेतचेन्नी की हत्या कर दी थी । करिकाल का तात्पर्य है 'झुलसे पैरों वाला' अर्थात करिकाल (Karikala) के पैर झुलसे हुए थे । इसका संबंध उसके बाल्यवस्था में हुए एक अग्निकांड से है । कहा जाता है कि बचपन में करिकाल के दुश्मनों ने उसका अपहरण कर बंदी बना लिया था । बाद में उसे कारावास में डाल दिया ओर कारावास में आग लगा दी । वह जैसे-तैसे वहां से भाग निकला परंतु उसके पैर आग की चपेट में आने से झुलस गए । इसी कारण उसे करिकाल अर्थात झुलसे पैरों वाला व्यक्ति कहा जाने लगा ।

पंन्तुप्पात्तु (10 ग्रांथ्य काव्य) संकलन ग्रंथ में शामिल 'पत्तिनप्पलाई' (रुद्रन कन्नार) जो चोलों (Chola) की राजधानी कावेरीपत्तनम पर रचित एक लम्बी कविता है जिसमें करिकाल (Karikala) के बारे में विस्तार से जानकारी मिलती है । पत्तिनप्पलाई में करिकाल (Karikala) को बंदी बनाये जाने ,बन्दीगृह से करिकाल के भाग जाने तथा अपने आप को गद्दी पर पुनः स्थापित करने का रोचक चित्रण मिलता है ।

वेण्णि का युद्ध

अपने शासनकाल के शुरुआत में करिकाल ने वेण्णि /कन्नी नामक स्थान पर विजय प्राप्त की । वेण्णि वर्तमान में तंजौर से 24 किमी. दूर पूर्व में स्थित आधुनिक कोविल वेण्णि को कहा जाता था । वेण्णि विजय से करिकाल को काफी प्रसिद्धि मिली । इस युद्ध में करिकाल ने बेलिर सहित चेर और पान्डेय के 11 राजाओं के समूह को हराया था । इस युद्ध में चेर तथा पान्डेय राजाओं का यश धूमिल पड़ गया । इस प्रकार करिकाल ने अपने बहुत बड़े शत्रु संघ को पराजित करके काफी प्रसिद्धि प्राप्त की । करिकाल की इस विजय का यशोगान कई संगम कवियों ने अपनी कविताओं में किया है ।

वाहैप्परन्दल का युद्ध

अपने दूसरे बड़े युद्ध में करिकाल ने वाहैप्परन्दल के युद्ध (वाहै वृक्षों के बीच स्थित मैदान) में चेर शासक पेरुंजेरल सहित कुल नौ शासकों के समूह को पराजित किया । इन विजयों के फलस्वरूप कावेर नदी घाटी में करिकाल की स्थिति काफी सुदृढ़ हो गयी थी ।

करिकाल के पास एक विशाल नौसेना शक्ति थी जिसका प्रयोग उसने सिंहल (वर्तमान श्रीलंका) पर विजय प्राप्त करने के लिए किया । वह श्रीलंका से 12000 युद्धबंदियों को लाया था । युद्ध से बंदी बनाकर लाये गए इन लोगों से उसने कावेरी नदी को बाढ़ से बचाने के लिए विशाल मजबूत बांध का निर्माण करवाया । करिकाल ने पुहर (कावेरिपट्टनम) को अपने राज्य का महत्वपूर्ण बन्दरगाह तथा वैकल्पिक राजधानी बनाया । रुद्रन कन्नर ने अपनी रचना 'पत्तिनप्पलाई' में करिकाल के शासनकाल की विकसित कृषि,उद्द्योग,व्यापार-वाणिज्य का विस्तृत वर्णन दिया है । इस रचना के अनुसार चोल (Chola) शासकों द्वारा पठारी एवं जंगली क्षेत्रों को साफ करवा कर कृषि योग्य भूमि को तैयार किया गया । इन क्षेत्रों में सिंचाई के लिए तालाबों का निर्माण किया गया तथा लोगों को यहां बसने के लिए प्रोत्साहित किया गया ।

करिकाल ब्राह्मण धर्म (हिन्दू धर्म) का अनुयायी था तथा उसने कई वैदिक यज्ञ किये । करिकाल स्वयं एक विद्वान था तथा उसने अपने दरबार में कई विद्वानों को सरंक्षण दिया । उसे सात सुरों का भी ज्ञान था । संगम कालीन तमिल कवियों ने अपनी रचनाओं में करिकाल के सम्बंध में अनेकों अनुश्रुतियां जोड़ दीं जो कपोल कल्पित प्रतीत होती हैं । जैसे- "करिकाल ने सैन्य अभियान चलाया ओर हिमालय, ब्रज,मगध तथा अवन्ति को जीत लिया था ।"

करिकाल एक महान विजेता, महान निर्माता, लोक कल्याणकारी शासक तथा विद्वानों का आश्रयदाता था । उसे संगमकालीन चोल (प्राचीन चोल) शासकों में सबसे महानतम शासक माना जाता था ।

करिकाल के उत्तराधिकारी

करिकाल की मृत्यु के पश्चात चोल राज्य में गृह कलेश शुरू हो गया । परिणामस्वरूप चोल राज्य (Chola's state)दो भागों में बंट गया । करिकाल का बड़ा पुत्र नलंगिल्ली उरैयूर का तथा छोटा पुत्र नेडुगिल्ली पुहर का शासक बना ।

इसके अतिरिक्त संगम साहित्यों में अनेकों चोल शासकों का उल्लेख मिलता है जैसे -

  1. किल्लीवलन - किल्लीवलन के समय में पुहर नगर का अधिकांश भाग समुन्द्र की भयंकर ज्वारीय लहरों में डूब गया था ।
  2. कोप्पेरूलोलन- गृह कलेश से परेशान होकर इस चोल शासक ने आत्मदाह कर लिया था ।
  3. पेरूनरकिल्ली - पेरूनरकिल्ली ने राजसूय यज्ञ किया था जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि उसका साम्राज्य विशाल था ओर वह स्वंय एक अच्छा-खासा शासक था ।
  4. कोच्चोगनान/ शेणगणान- कोच्चोगनान शैव धर्मावलम्बी था तथा इसने अपने चोल राज्य में 70 मन्दिरों का निर्माण करवाया था ।

उपर्युक्त चारों चोल शासकों की ऐतिहासिकता संदिग्ध है ।तीसरी शताब्दी तक पाण्डेय, चेरों तथा पल्लवों के बार-बार आक्रमण के फलस्वरूप संगमकालीन चोल राज्य का पतन हो गया था । 9वीं शताब्दी के मध्य में विजयालय के नेतृत्व में एक बार फिर से चोल सत्ता का उत्थान होता है ।

दोस्तों जैसा की हमने आपको बताया कि आज इस पोस्ट पर आपको जानकारी दी जायेगी संगमकालीन चोल साम्राज्य की यानी प्राचीन चोल साम्राज्य की जिन्हें आदि चोल भी कहा जाता था । ऐसा नहीं है कि तीसरी शताब्दी तक ये वंश यहां समाप्त हो गया था लेकिन इनके हाथों से साम्राज्य चला गया था । संगमकाल में इस साम्राज्य के पतन के बाद चोल राजवंश के लोग क्षेत्रीय राजाओं के सेनानायक,सेनापति और मंत्रियों के रूप में काम करते रहे तथा 9वीं शताब्दी के मध्य में आकर चोलों की शक्ति का पुनरूत्थान होता है और विजयालय के नेतृत्व में एक बार फिर से चोलों के वर्चस्व का झण्डा लहराता है । आपको विजयालय के नेतृत्व में स्थापित चोल साम्राज्य के इतिहास की जानकारी जल्द ही किसी दूसरी पोस्ट में दी जायेगी । फिलहाल हमने आपको जानकारी दी है संगम काल के प्रमुख तीन राज्यों में से एक चोल राज्य की जिसका प्रमुख शासक करिकाल था ।

Sangam era part-1 (चेर राज्य)

Sangam era part-3 (पांड्यन राज्य)

दोस्तों यदि पोस्ट अच्छी लगी तो लाइक जरूर करें तथा अपनी प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में लिखें । इसके साथ ही इस Website को Follow और Subscribe भी कर लेवें क्योंकि इस वेबसाइट पर जो भी जानकारी दी जाती है वह प्रमाणित ओर तथ्यों पर आधारित होती है ।


धन्यवाद
Previous
Next Post »