चेर राज्य का इतिहास ~ Ancient India

चेर राज्य का इतिहास


  • संगम साहित्य में सर्वाधिक प्राचीन वंश चेर वंश है तथा इसका ही सबसे अधिक उल्लेख है।
  • चेरों का प्रतीक चिन्ह धनुष तथा राजधानी वनजी(करूवूर) थी।
  • चेर राज्य मालाबार(केरल) क्षेत्र में था।
  • तीसरे संग्राम के समय एत्तुतोगे (अष्ट पदावली)का चौथा संग्रह पदिट्रप्पत्तु है।पदिट्रप्पत्तु में दस कविताओं का संग्रह है। इसमें आठ चेर शासकों की मोर्य गाथाओं का वर्णनं मिलता है । डॉ.ऍम.इस.आयंगर ने पदित्रुप्पत्तु को 'तमिल व्याकरण तथा रीति-रिवाजों का कोश' कहा है ।

उदियन जेरल

चोल राज्य का प्रथम शासक 'उदियन जेरल' था । उसने महाभारत में भाग लेने वाले  वीरों को भोजन कराया था । उसने एक बड़ी पाकशाला भी बनवाई ।
  • इसे वन वारमबन एवं पेरूनजोराम उदयन भी कहा जाता है ।

नेदुनजेरल आदन

नेदुनजेरल आदन ने सात राज्यों को पराजित कर अधिराज की उपाधि को धारण किया तथा समस्त भारत पर विजय प्राप्त कर हिमालय तक अपने राज्य को बढ़ाया तथा हिमालय पर चेर राज्य का चिन्ह धनुष अंकित कर इमयवर की उपाधि धारण की जिसका मतलब होता है हिमालय तक सीमा वाला ।

  • नेदुनजेरल ने मरन्दै को अपनी राजधानी बनवाया व् यवन व्यापारियों को भी कैद किया ।
  • नेदुनजेरल के पुत्र 'पेरूनजेरल इन्पोरई'(190 ई. के आस पास) ने सामेल जिले में तगडूर (धर्मपुर) के शासक को पराजित किया ।


शेनगुटटूवन

शेनगुटटूवन इसे लालचेर भी कहा जाता है.यह चेर वंश का सबसे महानतम शासक था । यह चेर वंश का सबसे महानतम शासक था । यह इमयवरम्बन का पुत्र था। यह 190 ईसवी के आस-पास शासक बना था 
संगम कालीन कवी परणर ने शेनगुटटूवन का यशोगान किया है। उसके पास जहाजी बेड़ा भी था 

शेनगुटटूवन ने उत्तर में चढ़ाई कर गंगा नदी को पार किया शिलप्पदिकाराम के अनुसार शेनगुटटूवन ने कोमार्य की देवी की पूजा पत्तिनी पूजा (कण्णगी पूजा) के रूप में प्रारम्भ कराई,इसमें उसे श्रीलंका के शासक गजबाहु ने भी सहयोग किया 
गजबाहु एक तमिल कवि इलम्बोधियार के साथ शेनगुटटूवन के दरबार में आया था 

आदिग ईमान नमक चेर शासक ने दक्षिण में गन्ने की खेती आरम्भ की 


चेर राज्य के प्रमुख बंदरगाह-

1.टोंन्डी,2.मुशिरी(मुजरिस),3.बन्दर,4.नौरा(कैन्ननोर),

5.नेलसिंडा,6.करुर(वान्जी) आदि 


बन्दर चेर राज्य का सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाह था । वट्टेल्लूत्तु चेरों की एक लिपि थी 



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