महाजनपद युग(Mahajanpad Era) ~ Ancient India

महाजनपद युग(Mahajanpad Era)

आंठवी ई.पू.शताब्दी से छठी ई.पू.शताब्दी का काल महाजनपद युग था।बौद्ध और जैन ग्रंथों और पुराणों में सोलह महाजनपदों का उल्लेख मिलता है-
प्राचीन भारतीय इतिहास में मगध का विशेष स्थान था।छठी शताब्दी ई.पू.में मगध उत्तरी भारत के 16 महाजनपदों में से एक था।मगध के शक्तिशाली सम्राटों नें अपनी विजयों के द्वारा एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की।उन्होंने समस्त उत्तरी भारत पर मगध साम्राज्य का प्रभुत्व स्थापित किया।इस प्रकार मगध कई शताब्दियों तक उत्तरी भारत की राजनीती गतिविधियों का केंद्र रहा।उत्तर वैदिक काल में मगध कोई महत्वपूर्ण राज्य नहीं था।उस युग में दक्षिणी बिहार मगध कहलाता था।
16 Mahajanapad
उत्तरवैदिक कल तक आर्य राज्यों का आधार जान या जाती था ।ये जन परिवारों के समूह हुआ करते थे।वैदिक युग के प्रारम्भ में ये जन एक स्थान से दूसरे को घूमते फिरते रहते थे।उत्तरवैदिक काल के पश्चात ये जन स्थायी रूप से बसने लगे।अपने निवास के ग्रामों और पार्श्ववर्ती भू-भागों पर इन्होंने अपनी सत्ता स्थापित कर ली।ये राज्य अब जनपद कहलाने लगे।फिर इन जनपदों में सीमा विस्तार कि भावना जागी फलस्वरूप ये पडोसी राज्यों से युद्ध करने लगे।इस प्रकार ये जनपद बड़े हो गए और "महाजनपद" कहलाने लगे।

(1.)अंग

 उत्तरी बिहार का आधुनिक भागलपुर तथा मुंगेर जिला इसके अन्तर्गत आता था। इसकी राजधानी "चम्पा" थी। चम्पा का प्राचीन नाम "मालिनी" था। इसकी गणना बुद्ध कालीन छः बड़े नगरों में की जाती थी। इस नगर का वास्तुकार "महागोविन्द" था। प्राचीन काल में चम्पा अपने व्यापार और वाणिज्य के लिए प्रसिद्ध था। यहाँ का शासक ब्रह्मदत्त था, जिसने मगध के राजा भट्टिय को पराजित कर मगध राज्य के कुछ भाग पर अधिकार कर लिया था। किन्तु बाद में बिम्बसार ने अंग को जीतकर मगध साम्राज्य में मिला लिया।

(2.)मगध

इस राज्य में आधुनिक पटना, गया तथा शाहाबाद के क्षेत्र आता था। इसकी राजधानी राजगृह या गिरिब्रज थी।

(3.)काशी

आधुनिक बनारस एवं उसके निकटवर्ती इसके अन्तर्गत आते थे। वरुणा तथा असी नदियों के बीच स्थित वाराणसी इसकी राजधानी थी। कालान्तर में अजातशत्रु ने इसे जीतकर मगध साम्राज्य में मिला लिया था।

(4.)कौशल

इसकी राजधानी श्रावस्ती थी, जो उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले में स्थित है। कोशल राज्य उत्तर में नेपाल, दक्षिण में सई नदी, पश्चिम में पांचाल तथा पूर्व में गण्डक नदी तक फैला हुआ था। सरयू नदी इस राज्य को दो भागों में विभाजित करती थी--उत्तरी कोशल इसकी राजधानी साकेत थी तथा दक्षिणी कोशल इसकी राजधानी श्रावस्ती थी। कोशल राज्य का सबसे महान एवं प्रतापी राजा प्रसेनजित हुआ, जो बुद्ध के समकालीन था। कोशल में शाक्यों का कपिलवस्तु गणराज्य भी शामिल था।

    बुद्ध के जन्म से पूर्व यहाँ के राजा कंस ने काशी राज्य को जीता था, किन्तु पूर्ण अधिकार नहीं कर पाया। उसके पुत्र महाकोशल ने काशी पर पूर्ण अधिकार कर लिया। महाकोशल के बाद उसका पुत्र प्रसेनजित शासक बना। प्रसेनजित का पुत्र एवं उत्तराधिकारी विड्ढूब हुआ। इसने शाक्यों पर आक्रमण करके उन्हें नष्ट कर दिया। परन्तु जब वह वापस लौट रहा था तभी अचिरावती (राप्ती) नदी की बाढ़ में अपनी पूरी सेना के साथ नष्ट हो गया।

(5.)वत्स

 यमुना नदी के किनारे स्थित वत्स राज्य वर्तमान इलाहबाद और कौशाम्बी का क्षेत्र था। इसकी राजधानी कौशाम्बी थी। यहाँ का प्रसिद्ध राजा उदयन था। कथासरित्सागर के आधार पर अनुमान लगाया जाता है कि उदयन पाण्डव परिवार से सम्बन्धित था। उदयन को बौद्ध भिक्षु "पिण्डोला" ने बौद्ध मत की शिक्षा दी थी। उदयन ने अवन्ति नरेश चण्डप्रद्योत की पुत्री वासवदत्ता से प्रेम विवाह किया था। भास के अनुसार उदयन का दूसरा विवाह मगध के राजा दर्शक की बहन (अजातशत्रु की पुत्री) पदमावती से भी हुआ था। वत्स की राजधानी कौशाम्बी प्रसिद्ध व्यापारिक नगर था।

(6.)कुरु

आधुनिक मेरठ, दिल्ली तथा थानेश्वर के भू-भागों में कुरु राज्य स्थित था। इसकी राजधानी इंद्रप्रस्थ थी। बुद्ध काल में यहाँ का राजा कौरव्य था।

(7.)पांचाल


वर्तमान रुहेलखण्ड के बरेली, बदायूँ तथा फर्रुखाबाद जिलों के क्षेत्र पांचाल राज्य में आते थे। इसके दो भाग थे--उत्तरी पांचाल राजधानी अहिच्छत्र तथा दक्षिणी पांचाल राजधानी काम्पिल्य। द्रौपदी पांचाल की ही थी।

(8.)मत्स्य


आधुनिक जयपुर के आसपास का क्षेत्र इस राज्य के अंतर्गत आता था। इस राज्य का संस्थापक विराट था तथा इसकी राजधानी विराटनगर थी।

(9.)शूरसेन


आधुनिक मथुरा और ब्रजमण्डल क्षेत्र में यह राज्य स्थित था। इसकी राजधानी मथुरा थी। कृष्ण यहीं के राजा थे। बुद्ध काल में यहाँ का राजा "अवन्ति पुत्र" था।

(10.)अवंति

वर्तमान मालवा व मध्य प्रदेश का कुछ भाग अवन्ति राज्य क्षेत्र में था। यह राज्य दो भागों-- उत्तरी अवन्ति, राजधानी उज्जैन तथा दक्षिणी अवन्ति, राजधानी महिष्मती में बंटा था। यहाँ का प्रसिद्ध राजा चण्डप्रद्योत था। बिम्बसार ने अपने राजवैद्य जीवक को चण्डप्रद्योत के उपचार हेतु भेजा था। बौद्ध भिक्षु महाकच्चायन ने चण्डप्रद्योत को बौद्ध धर्म की शिक्षा दी थी। कालान्तर में मगध नरेश शिशुनाग ने अवन्ति को जीतकर मगध साम्राज्य में मिला लिया।

(11.)गंधार

यह राज्य रावलपिण्डी और पेशावर के क्षेत्र में स्थित था। इसकी राजधानी तक्षशिला थी। तक्षशिला प्राचीन काल में विद्या और व्यापार का प्रमुख केन्द्र थी। रामायण के अनुसार इस नगर की स्थापना भरत के पुत्र तक्ष ने की थी। बुद्ध काल में यहाँ का राजा "पुष्कर सरित" था। जिसने अवन्ति शासक चण्डप्रद्योत को हराया था।

(12.)कंबोज

यह उत्तरापथ में स्थित था। आधुनिक राजौरी और हजारा जिले में प्राचीन कम्बोज राज्य स्थित था। इसकी राजधानी राजपुर या हाटक थी। कौटिल्य ने कम्बोज को "वार्ताशस्त्रोपजीवी" कहा है, अर्थात कृषि, पशुपालन, वाणिज्य तथा शस्त्र द्वारा जीवका वाले। प्राचीन काल में कम्बोज श्रेष्ठ घोड़ो के लिए प्रसिद्ध था।

(13.)चेदि

आधुनिक बुन्देलखण्ड क्षेत्र प्राचीन काल में चेदि राज्य था। इसकी राजधानी सोत्थिवती या शक्तिमती थी। महाभारत काल में यहाँ का शासक शिशुपाल था जिसका वध कृष्ण द्वारा किया गया।

(14.)अश्मक


यह गोदावरी नदी के तट पर स्थित था, इसकी राजधानी पोतन या पोटली थी। 16 महाजनपदों में अश्मक ही केवल दक्षिण भारत में स्थित था।

(15.)वज्जि

गंगा के उत्तर में आधुनिक तिरहुत प्रमण्डल में वज्जियों का राज्य था। यह आठ कुलों का एक संघ था। इनमें विदेह, लिच्छवि, वज्जि एवं कात्रिक कुल महत्वपूर्ण थे। वज्जि संघ की राजधानी मिथिला थी।

(16.)मल्ल

पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया एवं गोरखपुर जिले में मल्ल राज्य स्थित था। इसके दो भाग थे--जिसमें एक भाग की राजधानी कुशीनगर या कुशीनारा तथा दूसरे भाग की पावा थी। कुशीनगर में महात्मा बुद्ध को महापरिनिर्वाण एवं पावा में स्वामी महावीर को निर्वाण प्राप्त हुआ था।
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