सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) का विस्तार क्षेत्र ~ Ancient India

सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) का विस्तार क्षेत्र



सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार क्षेत्र

सिंधु घाटी सभ्यता केवल सिंधु घाटी तक ही सिमित नहीं थी,अपितु यह अफगानिस्तान, बिलुचिस्तान, सिंध(गुजरात),पंजाब,राजस्थान,गुजरात और मेरठ तक विस्तृत थी।सिंधु सभ्यता के अवशेष मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के अतिरिक्त पंजाब में अम्बाला जिले के रोपड़ व संघोल,हरियाणा के  मिताथल,बनावली और राखिगढ़,सौराष्ट्र में रंगपुर व लोथल,राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के कालीबंगा, उत्तर प्रदेश में मेरठ जिले के हस्तिनापुर व आलमगीरपुर, पाकिस्तान के कोटडिजी तथा अमरी व बिलुचिस्तान आदि स्थानों से प्राप्त हुए हैं।

इस प्रकार कहा जा सकता कि सिंधु सभ्यता बिलुचिस्तान,उत्तर पश्चिमी सीमा प्रान्त,पंजाब ,सिंध, काठीयावाड़,राजस्थान और गंगा घाटी के उत्तरी भाग में फैली हुई थी।

हड़प्पा सभ्यता के प्रारम्भिक स्थल सिन्धु क्षत्रे तक ही सीमित होने के कारण, उसे सिन्धु घाटी सभ्यता का नाम दिया गया था । अनेकों स्थलों की खुदार्इ के बाद पता चलता है कि यह सभ्यता पंजाब, सिन्ध, बलूचिस्तान, गुजरात, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों तक फैली थी । इसका विस्तार उत्तर में जम्मू से, दक्षिण में नर्मदा नदी के मुहाने तक और पश्चिम में बलूचिस्तान के मकरान तट से उत्तर पूर्व में मेरठ तक था ।

सिंधु भारत की एक बड़ी नदी है जो हिमालय पर्वत से निकलती है तथा पंजाब और सिंध प्रदेश से होती हुई अरब सागर में गिरती है। किसी नदी के दोनों और स्थित  प्रदेश को जिसकी की उस नदी से सिंचाई होती है घाटी कहलाती है। सिंधु घाटी से तात्पर्य सिंधु व उसकी सहायक नदियों के दोनों और फैले प्रदेश हैं।

इस सभ्यता के अवशेष सर्वप्रथम पंजाब के मांटगोमारी जिले के हड़प्पा नामक स्थान पर प्राप्त हुए थे अतः इसे हड़प्पा सभ्यता कहा जाता है।बाद में इस सभ्यता के अवशेष संपूर्ण सिंधु घाटी प्रदेश में पाए  गए।

अतः इसके विस्तार को देखते हुए अधिकांश विद्वानों नें इसे सिंधु घाटी की सभ्यता कहा और आज यह सभ्यता इसी नाम से विख्यात है।

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