प्राचीन भारत में गणराज्य वे राज्य थे जिनमें कोई वंश परंपरागत राजा न था।इन राज्यों में राज्य की संपूर्ण शक्ति जनता के हाथों में निहित थी।कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में लिखा है कि,गणराज्यों में प्रत्येक व्यक्ति अपने को राजा समझता था।न कोई छोटा था ,न बड़ा सभी समान थे।शासन और सरकार को चलाने के लिए योग्य प्रतिनिधियों व व्यक्तियों का चुनाव किया जाता था।बौद्ध साहित्य के अनुसार छठी शताब्दी ई.पूर्व में तत्कालीन भारत के निम्न गणराज्य थे-
महात्मा बुद्ध का जन्म इसी गणराज्य में हुआ था।शाक्यों का जीवन अत्यन्त पवित्र और सदाचारपूर्ण था। विद्या और कला में वे विशेष अभिरुचि रखते थे।ये स्त्रियों का बड़ा सम्मान करते थे।ये अपने वंश और रक्त की पवित्रता बनाये रखने के लिए अपने विवाह सम्बन्ध स्वजातीय परिवारों में ही करते थे।इसलिए उन्होंने अपनी किसी शाक्य कन्या का विवाह कौशल नरेश प्रसेन्जित्त से नहीं किया था।शाक्यों का प्रशासन प्रबंध करने के लिए एक परामर्श-दात्री परिषद् थी जिसके सदस्यों की संख्या 500 होती थी।
यह राज्य शाक्य राज्य के पूर्व में था।कोलिय और शाक्य गणराज्यों के बीच में रोहणी नमक नदी बहती थी।इसके जल का उपयोग दोनों राज्य सिंचाई के लिए करते थे।इसी से दोनों में मतभेद हो जाता था,जिससे आपस में संघर्ष हो जाता था।
आधुनिक उत्तर-प्रदेश के गोरखपुर जिले में मल्ल गणराज्य था।मल्ल लोग अपनी विद्या,कला और युद्धप्रियता के लिए प्रसिद्ध थे।दर्शनशास्त्र में मल्लों ने विशेष प्रगति की थी।उनके राज्य का एक नगर उखेलकप्प उनके दार्शनिक विचार विमर्श के लिए प्रख्यात था।बुद्ध का देहावसान कुशीनारा में ही हुआ था।
गोरखपुर जिले के दक्षिण भाग में पावापुरी थी।यहाँ मल्लों की दूसरी शाखा ने आपना गणराज्य स्थापित कर लिया था।पावा में वर्द्धमान महावीर का देहावसान हुआ था।
यह एक छोटा प्राचीन गणराज्य था।इसका उल्लेख शथपथ ब्राह्मण ग्रन्थ और जातक ग्रंथों में है।गौतम बुद्ध के प्रसिद्ध गुरु आलार कलाम इसी गणराज्य के थे।
यह राज्य पूर्वी उत्तर प्रदेश में था।इसमें मिर्जापुर और उसके आसपास का क्षेत्र सम्मिलित था।यह भी प्राचीन राज्य था और ऐत्तरेय ब्राह्मण ग्रन्थ में इसका उल्लेख है।
यह राज्य बिहार में था।इसकी राजधानी मिथिला नगर थी जो व्यपार और संस्कृति का प्रसिद्ध केन्द्र थी।
यह गणराज्य शाक्य गणराज्य की एक शाखा थी।कुछ शाक्य हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र में चले गए और वहां उन्होंने पिप्पलीवन नामक नगर बसाया।इस नगर में मोरों (Peacock) का बाहुल्य था इसलिए इन्हें मोरिय या मौर्य कहा जाने लगा।चंद्रगुप्त मौर्य पिप्पलीवन का ही था।
यह उत्तरी बिहार में था।लिच्छवि इक्ष्वाकु वंश के क्षत्रिय थे । ये अपने सरल,सादे और पवित्र जीवन के लिए प्रसिद्ध थे । इनका गणराज्य विस्तृत और शक्तिशाली था । वैशाली जो एक बड़ा प्रख्यात,महान,वैभवशाली विस्तृत नगर था,लिच्छवियों की राजधानी था।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार इक्ष्वाकु के पुत्र विशाल ने वैशाली नगर बसाया था । वर्तमान मुजफ्फपुर जिले का बसाड़ नामक नगर जो गंडक नदी के तट पर बसा है,प्राचीन वैशाली का अवशेष है ।
यह विशाल नागर राजप्रसादों,सार्वजनिक भवनों,चेत्यों,विहारों,विशाल नगरकोटों,सिंह द्वारों आदि के लिए प्रख्यात था।
उस समय वैशाली में बड़े बड़े योद्धा,धर्माचार्य,तपस्वी,दिग्गज,विद्वान निवास करते थे,जिसमे महाली,महानाम,सिंह सेनापति,भद्देकर और सच्चक जैसे महान पुरुष थे।
वैशाली में शालवन नामक आश्रम में दो मंजिली "कूटागार" शाला में बुद्ध आकर ठहरते।लिच्छवी लोग युद्ध प्रिय और वीर सेनानी थे । इनका शाशन प्रजातंत्रात्मक था । उनके प्रतिनिधियों की एक राज्य सभा थी जो शासन सञ्चालन करती थी ।
लिच्छवियों में राष्ट्रीयता,मतैक्य,सहिष्णुता,सौहार्द,सम्मान आदि गुण थे । उनका गणराज्य अपनी,सम्रद्धि,सम्पन्नता,ऐश्वर्य,दृढ शक्ति और बल के लिए प्रख्यात था ।
(1.)कपिलवस्तु का शाक्य गणराज्य
यह राज्य नेपाल की सीमा पर हिमालय की तराई में था।यहाँ के शाक्य लोग इक्ष्वांकु या सूर्यवंशी क्षत्रिय थे।इनकी राजधानी कपिलवस्तु थी।इस गणराज्य में शाक्यों के 80,000परिवार थे।यह गणराज्य अत्यन्त प्रगतिशील था।महात्मा बुद्ध का जन्म इसी गणराज्य में हुआ था।शाक्यों का जीवन अत्यन्त पवित्र और सदाचारपूर्ण था। विद्या और कला में वे विशेष अभिरुचि रखते थे।ये स्त्रियों का बड़ा सम्मान करते थे।ये अपने वंश और रक्त की पवित्रता बनाये रखने के लिए अपने विवाह सम्बन्ध स्वजातीय परिवारों में ही करते थे।इसलिए उन्होंने अपनी किसी शाक्य कन्या का विवाह कौशल नरेश प्रसेन्जित्त से नहीं किया था।शाक्यों का प्रशासन प्रबंध करने के लिए एक परामर्श-दात्री परिषद् थी जिसके सदस्यों की संख्या 500 होती थी।
(2.)रामग्राम का कोलिय गणराज्य
यह राज्य शाक्य राज्य के पूर्व में था।कोलिय और शाक्य गणराज्यों के बीच में रोहणी नमक नदी बहती थी।इसके जल का उपयोग दोनों राज्य सिंचाई के लिए करते थे।इसी से दोनों में मतभेद हो जाता था,जिससे आपस में संघर्ष हो जाता था।
(3.)कुशीनारा का मल्ल गणराज्य
आधुनिक उत्तर-प्रदेश के गोरखपुर जिले में मल्ल गणराज्य था।मल्ल लोग अपनी विद्या,कला और युद्धप्रियता के लिए प्रसिद्ध थे।दर्शनशास्त्र में मल्लों ने विशेष प्रगति की थी।उनके राज्य का एक नगर उखेलकप्प उनके दार्शनिक विचार विमर्श के लिए प्रख्यात था।बुद्ध का देहावसान कुशीनारा में ही हुआ था।
(4.)पाव का मल्ल गणराज्य
गोरखपुर जिले के दक्षिण भाग में पावापुरी थी।यहाँ मल्लों की दूसरी शाखा ने आपना गणराज्य स्थापित कर लिया था।पावा में वर्द्धमान महावीर का देहावसान हुआ था।
(5.)केसपुत का कलाम गणराज्य
यह एक छोटा प्राचीन गणराज्य था।इसका उल्लेख शथपथ ब्राह्मण ग्रन्थ और जातक ग्रंथों में है।गौतम बुद्ध के प्रसिद्ध गुरु आलार कलाम इसी गणराज्य के थे।
(6.)सुंसुमारगिरी का भग्ग गणराज्य
यह राज्य पूर्वी उत्तर प्रदेश में था।इसमें मिर्जापुर और उसके आसपास का क्षेत्र सम्मिलित था।यह भी प्राचीन राज्य था और ऐत्तरेय ब्राह्मण ग्रन्थ में इसका उल्लेख है।
(7.)मिथिला का विदेह गणराज्य
यह राज्य बिहार में था।इसकी राजधानी मिथिला नगर थी जो व्यपार और संस्कृति का प्रसिद्ध केन्द्र थी।
(8.)पिप्पलीवन का मोरिय गणराज्य
यह गणराज्य शाक्य गणराज्य की एक शाखा थी।कुछ शाक्य हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र में चले गए और वहां उन्होंने पिप्पलीवन नामक नगर बसाया।इस नगर में मोरों (Peacock) का बाहुल्य था इसलिए इन्हें मोरिय या मौर्य कहा जाने लगा।चंद्रगुप्त मौर्य पिप्पलीवन का ही था।
(9.) वैशाली के लिच्छवी गणराज्य
यह उत्तरी बिहार में था।लिच्छवि इक्ष्वाकु वंश के क्षत्रिय थे । ये अपने सरल,सादे और पवित्र जीवन के लिए प्रसिद्ध थे । इनका गणराज्य विस्तृत और शक्तिशाली था । वैशाली जो एक बड़ा प्रख्यात,महान,वैभवशाली विस्तृत नगर था,लिच्छवियों की राजधानी था।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार इक्ष्वाकु के पुत्र विशाल ने वैशाली नगर बसाया था । वर्तमान मुजफ्फपुर जिले का बसाड़ नामक नगर जो गंडक नदी के तट पर बसा है,प्राचीन वैशाली का अवशेष है ।
यह विशाल नागर राजप्रसादों,सार्वजनिक भवनों,चेत्यों,विहारों,विशाल नगरकोटों,सिंह द्वारों आदि के लिए प्रख्यात था।
उस समय वैशाली में बड़े बड़े योद्धा,धर्माचार्य,तपस्वी,दिग्गज,विद्वान निवास करते थे,जिसमे महाली,महानाम,सिंह सेनापति,भद्देकर और सच्चक जैसे महान पुरुष थे।
वैशाली में शालवन नामक आश्रम में दो मंजिली "कूटागार" शाला में बुद्ध आकर ठहरते।लिच्छवी लोग युद्ध प्रिय और वीर सेनानी थे । इनका शाशन प्रजातंत्रात्मक था । उनके प्रतिनिधियों की एक राज्य सभा थी जो शासन सञ्चालन करती थी ।
लिच्छवियों में राष्ट्रीयता,मतैक्य,सहिष्णुता,सौहार्द,सम्मान आदि गुण थे । उनका गणराज्य अपनी,सम्रद्धि,सम्पन्नता,ऐश्वर्य,दृढ शक्ति और बल के लिए प्रख्यात था ।
2 comments
Click here for commentsSir in SAB rajyo ka map bhi send kar dijiye
ReplyYes jarur aap hamAri dusri website par jaye.yahan aapko or bhi adhik jankarij prapt hogi
ReplyWww.memorablehistoryofindia.com
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