सिंधु सभ्यता का विनाश(Destruction of the Indus civilization) ~ Ancient India

सिंधु सभ्यता का विनाश(Destruction of the Indus civilization)

सिंधु सभ्यता के विनाश के कारण(Reason for the destruction of the Indus Valley Civilization)

यह समुन्नत एवं उत्कृष्ट सभ्यता नष्ट हो गयी। यह विशवास किया जाता है कि मोहनजोदड़ो 5000 वर्ष ई.पू.एक बड़ा नगर था जो कम से कम सात बार उजड़ा और सात बार पुनः बसा । यद्पि तहों को खोद लिया गया है किंतु मोर्टिमार व्हीलर का विश्वास है कि इससे भी अधिक सभ्यताओं के प्रमाण इसके नीचे हो सकतें हैं।

सिंधु सभ्यता के विनाश के बारे में निश्चित रूप से अभी खोज नहीं हुई है । ऐसा अनुमान किया जाता है कि मोहंजोदड़ो और हड़प्पा के नगर 2500ई.पू  नष्ट और ध्वस्त हो गए थे।इस सभ्यता के विनाश के कई कारण रहें होंगे जैसे सिन्धु नदी में भयंकर बाढ़,सिंधु नदी का मार्ग बदलना और सिंधु सभ्यता के क्षेत्र को रेगिस्तान बना देना,जलवायु में असाधारण परिवर्तन,मौसमी हवाओं का रूख बदलना,वर्षा काम होने के कारण इस सभ्यता का धीरे धीरे टिलो में ढक जाना,भयंकर भूकंप व विदेशी आक्रमणों का होना आदि।


इतिहासकारों ने इस सिद्धांत को साबित करने के लिए साक्ष्य दिये हैं। हड़प्पा सभ्यता के ज्यादातर शहर ऐसी स्थिति में पाए गए हैं जैसे कि पुराने शहर नष्ट हो चुके थे और फिर उनका पुनर्निर्माण किया गया।
उदाहरण के लिए, शहरों को पहली बार बहुत सावधानी से बनाया गया था, लेकिन इसके पुनर्निर्माण में टूटी ईंटों का इस्तेमाल किया गया था और पुनर्निर्माण के दौरान उचित पानी निकासी पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था। सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषताओं में से एक उचित नाली व्यवस्था थी।

फिर, शहरों की औसतन वर्षा में गिरावट आई, जिसने रेगिस्तान जैसी स्थिति पैदा कर दी। जिसने कृषि को प्रभावित किया और अधिकांश व्यापार इसी पर निर्भर था। इस कारण पूरी सभ्यता के नष्ट होने से सिंधु घाटी के लोग कुछ अन्य स्थानों पर जाने लगे थे। कुछ विद्वानों के अनुसार, पतन का कारण घेंगर-हरका नदी के जलमार्ग का परिवर्तित हो जाने से शुष्कता में वृद्धि भी है। लगभग 200 ईसा पूर्व, जिस स्थान पर सिंधु घाटी की सभ्यता के क्षेत्रों में सूखे की स्थिति पैदा हो गई थी वहाँ आज भी एक रेगिस्तान है।

कई सिद्धांत तैयार और प्रदान किए गए हैं, लेकिन सभी सिद्धांतों की एक प्रकार की आलोचना की गयी। पुरातात्विक साक्ष्य यह साबित करते हैं कि सिंधु घाटी सभ्यता का कोई अचानक पतन नहीं हुआ था, बल्कि यह एक समय अन्तराल में धीरे- धीरे कमजोर हुआ अन्य सभ्यताओं के साथ मिश्रित हो गया।




कोलंबो के मतानुसार "कृषि व्यवस्था की अवन्ती के कारण सिंधु सभ्यता का अंत हुआ।"उनका कहना है कि नदियों का मार्ग बदलने के कारण सिंचाई व्यवस्था थप हो गयी और बंदरगाह बर्बाद हो गए।डॉ.राजबली पांडेय के मतानुसार सिंधु घाटी में क्रांतिकारी जलवायु परिवर्तन और सिंधु नदी के मार्ग बदलने पर यह सभ्यता नष्ट हो गयी। कुछ विद्वानों का मत है कि आर्यों के आगमन व आक्रमणों ने सिंधु घाटी सभ्यता को नष्ट कर दिया क्योंकि यहाँ के लोग शांतिप्रिय थे जबकि आर्य लोग युद्धप्रिय थे।सिंधु सभ्यता के जितने अवशेष मिले हैं उनके आधार पर इस सभ्यता की कोई विस्तृत जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी है न ही इस सभ्यता के कोई ग्रन्थ उपलब्ध हैं ओर न ही इसकी लिपि को आज तक पढ़ा जा सका है।
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